वृत्त की परिधि में बैठे हैंदो शत्रु , विनाशक हाथ मिलाकरएक बहलाकर लूटता हैदूसरा खुलेआम घात लगाकर । वृत्त की परिधि में बैठे हैंदो शत्रु , विनाशक हाथ मिलाकरएक बहलाकर लूटता हैदूसरा ख...
तुम जितने शूल बिछाओगे, मैं पुनः सम्हलना सीखूंगी। तुम जितने शूल बिछाओगे, मैं पुनः सम्हलना सीखूंगी।
नहीं दिखता फिर भी कहर दिन और रात निपट लेंगे इससे ना चिंता की बात। नहीं दिखता फिर भी कहर दिन और रात निपट लेंगे इससे ना चिंता की बात।
ये कैसा इंसान है स्वार्थ सिद्ध करने में लगा रहता है ,अपने पैर जमाकर दूसरों के पैर खींचने में लगा रहत... ये कैसा इंसान है स्वार्थ सिद्ध करने में लगा रहता है ,अपने पैर जमाकर दूसरों के पै...
जरूरत पड़े या ना पड़े हर वक्त तैयार रहना चाहिए। जरूरत पड़े या ना पड़े हर वक्त तैयार रहना चाहिए।
हर शब्द को निशब्द कर दे ऐसी लड़ी थी, लगता है जैसे शत्रु रक्त की प्यास बड़ी थी। हर शब्द को निशब्द कर दे ऐसी लड़ी थी, लगता है जैसे शत्रु रक्त की प्यास बड़ी ...